- सुप्रीम कोर्ट ने Byju’s और BCCI के बीच हुए सेटलमेंट को लेकर चिंता जताई।
- अदालत ने NCLAT के Byju’s के खिलाफ इंसॉल्वेंसी की कार्यवाही बंद करने के फैसले को अव्यवस्थित बताया।
- चीफ जस्टिस ने NCLAT के फैसले में विश्लेषण की कमी को लेकर आपत्ति जताई, मामले को फिर से विचार के लिए NCLAT को भेजने का संकेत दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एडुटेक कंपनी Byju’s और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच हुए सेटलमेंट को लेकर चिंता जताई है। कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) के उस फैसले पर सवाल उठाए, जिसमें Byju’s के खिलाफ चल रही इंसॉल्वेंसी की कार्यवाही को रोकने का निर्देश दिया गया था। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने NCLAT के आदेश में विश्लेषण की कमी को लेकर नाराजगी जाहिर की और मामले को पुनर्विचार के लिए फिर से ट्राइब्यूनल के पास भेजने का संकेत दिया।
Byju’s और NCLAT विवाद का पूरा मामला
Byju’s, जो भारत की सबसे बड़ी एडुटेक कंपनी है, पर अपने क्रेडिटर्स का लगभग 15,000 करोड़ रुपये का बकाया है। इसी बीच, कंपनी ने BCCI को 158 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया, जिससे विवाद खड़ा हो गया। यह मामला तब और गहराया जब NCLAT ने Byju’s के खिलाफ चल रही इंसॉल्वेंसी की कार्यवाही को रोकने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि ट्राइब्यूनल के आदेश में पर्याप्त विश्लेषण नहीं किया गया है और इसे पुनर्विचार की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान NCLAT के फैसले पर गंभीर सवाल उठाए। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, “NCLAT का आदेश केवल एक पैराग्राफ में दिया गया है, जिसमें कोई स्पष्ट तर्क या विश्लेषण नहीं है। ट्राइब्यूनल को मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए थी।” अदालत ने यह भी कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो यह मामला पुनर्विचार के लिए फिर से NCLAT को भेजा जाएगा।
Byju’s का BCCI के साथ सेटलमेंट
Byju’s ने हाल ही में BCCI को 158 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जबकि कंपनी पर अन्य क्रेडिटर्स का कुल 15,000 करोड़ रुपये का बकाया है। सुप्रीम कोर्ट ने Byju’s के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि जब कंपनी पर इतने बड़े पैमाने पर देनदारी है, तो उसने सिर्फ BCCI को ही भुगतान क्यों किया? अदालत ने Byju’s के इस सेटलमेंट को अनुचित करार दिया और इसे कंपनी के बाकी क्रेडिटर्स के साथ अन्याय बताया।
BCCI की ओर से कोर्ट में पेशी
BCCI की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर NCLAT के फैसले को बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि NCLAT का फैसला पूरी तरह से कानूनी है और इसे पलटने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के फैसले को अव्यवस्थित और अपर्याप्त बताते हुए कहा कि ट्राइब्यूनल ने मामले की पूरी जांच नहीं की है।
मामले का संभावित निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से स्पष्ट है कि Byju’s और BCCI के बीच हुआ यह विवाद जल्द सुलझने वाला नहीं है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के फैसले को पलटते हुए इसे पुनर्विचार के लिए वापस भेजा, तो Byju’s के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। कंपनी को अपने बाकी क्रेडिटर्स के साथ भी समझौता करना होगा और इस पूरे मामले को कानूनी प्रक्रिया के तहत ही सुलझाना होगा।
निष्कर्ष
Byju’s और BCCI के बीच हुआ यह विवाद भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण मामला बन गया है। सुप्रीम कोर्ट का यह रुख न केवल Byju’s के लिए बल्कि अन्य कंपनियों के लिए भी एक संदेश है कि सभी क्रेडिटर्स के हितों का सम्मान किया जाना चाहिए। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इस मामले का क्या निष्कर्ष निकलता है और NCLAT किस तरह से इसे संभालता है।
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