शेयर मार्केट में निवेश करते समय आपने कई बार “FOMO” शब्द सुना होगा। लेकिन इसका असली मतलब क्या है, यह कितनी बड़ी समस्या है, और इससे कैसे बचा जा सकता है? FOMO, यानी Fear Of Missing Out का हिंदी में मतलब है “कुछ चूक जाने का डर”। जब कोई निवेशक यह महसूस करता है कि अगर उसने तुरंत कोई कदम नहीं उठाया, तो वह बड़ा फायदा खो देगा, तब FOMO उसकी सोच पर हावी हो जाता है।
ये स्थिति अक्सर तब उत्पन्न होती है, जब मार्केट में कोई स्टॉक तेजी से बढ़ रहा हो या अचानक बहुत ज्यादा चर्चा में आ जाए। तब लोग बिना सोचे-समझे, सिर्फ इस डर से निवेश करते हैं कि कहीं मौका हाथ से न निकल जाए। लेकिन अक्सर, ऐसे समय में लिए गए फैसले नुकसानदायक साबित होते हैं।

मार्केट में FOMO कैसे काम करता है?
FOMO एक ऐसी मानसिक अवस्था है, जो न केवल शेयर मार्केट बल्कि जीवन के कई अन्य पहलुओं में भी देखने को मिलती है। उदाहरण के लिए, जब कोई ब्रांड अचानक यह घोषणा करता है कि उसके सभी प्रोडक्ट्स पर सिर्फ एक दिन के लिए 80% की छूट है, तो लोग जल्दी-जल्दी सामान खरीदने लगते हैं, भले ही उन्हें उसकी ज़रूरत न हो। इसी तरह, कोई इवेंट आपके शहर में हो रहा है, और आपके सभी दोस्त टिकट खरीद चुके हैं, तो आप इस डर से टिकट बुक कर लेते हैं कि कहीं आप यह अनुभव मिस न कर दें, भले ही आपको इवेंट में ज्यादा दिलचस्पी न हो।
शेयर मार्केट में FOMO कैसे काम करता है?
शेयर मार्केट में FOMO तब उत्पन्न होता है, जब:
- अचानक कोई स्टॉक तेजी से बढ़ता है और लोगों को लगता है कि अगर उन्होंने इसमें निवेश नहीं किया, तो वे बड़ा मुनाफा खो देंगे।
- किसी स्टॉक के बारे में बहुत सारी सकारात्मक खबरें आती हैं, और आपको लगता है कि यह निवेश का सही समय है, भले ही आपने उसके फंडामेंटल्स पर ध्यान न दिया हो।
- दूसरे लोग अच्छा रिटर्न कमा रहे होते हैं, और आप बिना सोचे-समझे उनके पीछे भागने लगते हैं।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए किसी स्टॉक ने पिछले एक हफ्ते में 20% रिटर्न दिया है। आप इसे देखकर जल्दबाजी में उस स्टॉक को खरीद लेते हैं, यह सोचकर कि यह आगे भी बढ़ेगा। लेकिन अगले ही दिन स्टॉक गिरने लगता है, और आप नुकसान में आ जाते हैं। यह स्थिति कई निवेशकों के साथ होती है, खासकर नए निवेशकों के साथ, जो मार्केट की भावनाओं में बहकर निर्णय लेते हैं।
FOMO का मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
FOMO के कारण निवेशक अक्सर बिना योजना के मार्केट में कूद जाते हैं। इस डर का कारण है लालच और अवसर चूक जाने की चिंता। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब निवेशक अपनी स्ट्रेटेजी छोड़कर भावनाओं के आधार पर निर्णय लेते हैं। इसका नतीजा है—गलत समय पर स्टॉक खरीदना और फिर नुकसान सहकर उसे बेच देना।
FOMO से कैसे बचें?
- मार्केट की समझ बढ़ाएं और चार्ट रीडिंग सीखें: मार्केट के पैटर्न को समझने के लिए आपको समय देना होगा। जब आपके पास ज्ञान और अनुभव होगा, तो आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रख पाएंगे और FOMO के चक्कर में नहीं फसेंगे।
- कोई भी निवेश करने से पहले रिसर्च करें: जब तक किसी स्टॉक के फंडामेंटल्स और टेक्निकल्स को समझ न लें, तब तक उसमें निवेश न करें। यह जरूरी है कि आप सिर्फ इसलिए स्टॉक न खरीदें, क्योंकि आपको लगता है कि यह और बढ़ेगा।
- प्लान बनाकर निवेश करें: जब आप मार्केट में किसी स्टॉक को खरीदते हैं, तो यह पहले से तय कर लें कि कब बेचना है, क्या आपका टारगेट है और स्टॉप लॉस (Stop Loss) क्या होना चाहिए। इससे आप जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेंगे।
- JOMO (Joy Of Missing Out) को अपनाएं: JOMO का मतलब है, चूक जाने का आनंद लेना। यानी, अगर आप किसी अवसर से चूक भी गए हैं, तो उसका पछतावा न करें। यह मानसिकता आपको शांत रखेगी और आप बेहतर निर्णय ले पाएंगे।
निष्कर्ष:
शेयर मार्केट में FOMO से बचना आसान नहीं है, खासकर नए निवेशकों के लिए। लेकिन सही ज्ञान, धैर्य, और योजना के साथ आप इससे बच सकते हैं। याद रखें, हर अवसर में कूदना जरूरी नहीं है। कभी-कभी चूक जाना ही सही रणनीति होती है। इसलिए, मार्केट में अपने निर्णय सोच-समझकर लें और हमेशा दीर्घकालिक नजरिए से निवेश करें।
अंत में, FOMO को हराने के लिए खुद पर विश्वास रखें, JOMO को अपनाएं, और धैर्य के साथ मार्केट में आगे बढ़ें।
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